पीते तो हैं सब यारो ,
पर इकरार कोई -कोई करता है ,
जब लगती है चोट इस दिल को कभी ,
तो बस ये जाम ही जख्म भरता है ,
छुप छुप कर क्यों पीते हो,
क्या बुराई है इस पीने में ,
नही बुझेगी आग पानी से अब,
जो दुनिया ने लगायी है सीने में,
चढ़ते सूरज को यहाँ सलाम है मिलते,
डूबते को चार गालियाँ .....
अपने दुःख पर रोती ये दुनिया ,
दुसरो की बेबसी पर बजती तालियाँ ..!!
Saturday, July 18, 2009
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